आलू राजा

शनिवार, 24 अक्तूबर 2020

आधुनिक सूचना प्रौद्योगिकी : एक वरदान

आधुनिक सूचना तकनीकि : एक वरदान 


मानव जीवन में संप्रेषण का महत्व हमेशा से ही रहा है ।सभ्यताओं को विकसित करने के लिए प्रभावी संप्रेषण साधनों का प्रयोग महत्वपूर्ण स्थान रखता है। मनुष्य सूचनाओं द्वारा लोगों तक अपने विचारों को पहुंचाता था। यह सूचना के साधन कबूतर या मनुष्य होते थे लेकिन विज्ञान के आविष्कारों ने उन्हें आधुनिक  बनाया और सूचना तकनीकी का आविर्भाव हुआ। सूचना प्रौद्योगिकी एक बेहद विकसित अवधारणा है जिसमें सूचना प्रक्रिया और उसके प्रबंध संबंधी सभी पहलू शामिल हैं। कंप्यूटर, हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर ,इंटरनेट तथा दूरसंचार प्रणालियां, सूचना प्रौद्योगिकी के आधार हैं ।यूनेस्को के अनुसार" सूचना प्रौद्योगिकी के अंतर्गत वैज्ञानिक तकनीकी तथा इंजीनियरिंग विषयों के अतिरिक्त सूचनाओं के आदान-प्रदान एवं प्रसंस्करण में काम आने वाली प्रबंध तकनीक उन का अनुप्रयोग, कंप्यूटर एवं मनुष्य तथा मशीनों से उनका संबंध और इससे संबंधित सामाजिक आर्थिक तथा सांस्कृतिक मुद्दे शामिल हैं।" सूचना प्रौद्योगिकी के कारण डाक सेवा और टेलीफोन सेवा सूचना प्रदान करने के माध्यम बने। इन के माध्यम से मनुष्य जाति ने पहले की अपेक्षा कम समय में अपनी सूचनाओं को अपने सगे संबंधियों, अधिकारियों, अधीनस्थों को पहुंचाना प्रारंभ कर दिया। सूचना प्रौद्योगिकी ने समाज के प्रत्येक क्षेत्र सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक, राजनीतिक आदि को प्रभावित किया समय की बचत एवं गोपनीयता भंग ना हो इसलिए मानव समुदाय ने आधुनिक सूचना तकनीकी का सहारा लेना प्रारंभ कर दिया ।सूचना प्रौद्योगिकी ने दैनिक कार्य प्रणाली रेलवे, विमानन ,कृषि ,शिक्षा, चिकित्सा, विज्ञान, रेडियो ,टेलीफोन, मौसम पूर्वानुमान क्षेत्र में परिवर्तन कर दिया है। सूचना प्रौद्योगिकी ने प्रशासन, शिक्षा,व्यापार,वाणिज्य,मेडिसन आदि क्षेत्रों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इंफोसिस,आईबीएम,माइक्रोसॉफ्ट, आदि नाम भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी के ध्वजवाहक बने

 1956 में कोलकाता के भारतीय सांख्यिकी संस्थान में स्थापित हुए पहले कंप्यूटर से लेकर आज तक सूचना प्रौद्योगिकी ने भारतीय मानव समुदाय के जीवन के प्रत्येक क्षेत्र को सकारात्मक रूप से प्रभावित किया। रोजगार,शिक्षा ,स्वास्थ्य ,सेवाएं ,मीडिया ,मनोरंजन आदि क्षेत्रों में प्रगति कर सूचना प्रौद्योगिकी एक वरदान के रूप में लोगों के जीवन स्तर को उच्च बनाने के लिए प्रसिद्ध है।

आधुनिक सूचना तकनीक का इतिहास


1956 में पहला डिजिटल कंप्यूटर भारत में आया ।कोलकाता स्थित भारतीय सांख्यिकी संस्थान ने इंग्लैंड से मंगवाए गए HEC- 2M कम्प्यूटर को स्थापित किया। इसके बाद सूचना प्रौद्योगिकी को लगातार विकास होता गया। 1956 में हैदराबाद में कंप्यूटर सोसायटी ऑफ इंडिया की स्थापना ,1976 में शिव नादर द्वारा माइक्रोकोंप बाद में हिंदुस्तान कंप्यूटर लिमिटेड की स्थापना, 1981 में एनआर नारायण मूर्ति द्वारा इंफोसिस नामक डाटा सेंटर की शुरुआत, 1984 में राजीव गांधी द्वारा नई कंप्यूटर नीति की घोषणा, 1985 में बैंकों का कंप्यूटरीकरण से जुड़ी रंगराजन समिति की रिपोर्ट जारी,1990 में भारत का पहला सुपर कंप्यूटर ( CRAYXMP-14 ) की मौसम विभाग में स्थापना, 15 अक्टूबर 1999 को भारत सरकार द्वारा सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की स्थापना ,नई दूरसंचार नीति 2002 में सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम पारित, जनवरी 2004 में पहला किसान कॉल सेंटर स्थापित, 20 सितंबर 2004 को देश का पहला शैक्षणिक उपग्रह एडूसेट अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित किया गया। आज बिना सूचना तकनीकी के व्यक्ति कुछ दिन नहीं रह सकता। सूचना तकनीकी वरदान बनकर मनुष्य जाति के विकास में लगी है। वेदों उपनिषदों एवं पुराणों में वर्णित सूचना प्रौद्योगिकी के तथाकथित काल्पनिक साधनों को आज समाज देख रहा है एवं उनका उपयोग कर रहा है।सूचना तकनीकी निम्न क्षेत्रों में क्रांतिकारी परिवर्तन करके मनुष्य के जीवन को सरल एवं सुगम बना रही है।

रोजगार

  सूचना प्रौद्योगिकी यदि वरदान कहा जाए तो उसका सबसे प्रभावी कार्य रहा लोगों को रोजगार देना ।आधुनिक सूचना प्रौद्योगिकी ने रोजगार के नए अवसर प्रदान किए। लगभग प्रत्येक कार्यालय में कंप्यूटर के प्रयोग होने से कई युवाओं ने अपना भविष्य इस क्षेत्र में उज्जवल किया। शिक्षा ,किराना ,यातायात, आदि क्षेत्रों में रोजगार के अवसर प्राप्त हुए हैं ।आईटी उद्योग किसी भी क्षेत्र के इंजीनियरिंग, वकील ,कला, विज्ञान , साहित्य स्नातकों को रोजगार प्रदान करता है। यदि व्यक्ति स्वरोजगार करना चाहता है तो भी आईटी से संबंधित रोजगार आज सबसे अच्छा रोजगार सिद्ध हो रहा है। साइबर कैफे कंप्यूटर प्रशिक्षण केंद्र मोबाइल रिपेयरिंग सेंटर से संबंधित छोटी दुकान आदि के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार उठाया जा सकता है।



सेवाएं

भारत में सेवा क्षेत्र प्रारंभ से  कार्य की दृष्टि से उबाऊ क्षेत्र माना जाता रहा है। सूचना प्रौद्योगिकी के प्रयोग ने इस क्षेत्र में कई बदलाव किए जिससे आज विभिन्न प्रकार की सेवाएं कम समय में उपभोक्ताओं को प्राप्त हो रही हैं। सूचना प्रौद्योगिकी ने रेलवे रिजर्वेशन को आसान किया है। साथ ही साथ ई-कॉमर्स ,ई बाजार, ई गवर्नेंस ,मोबाइल बैंकिंग ,किसान कॉल सेंटर ,आदि ऐसे उदाहरण हैं जो लोगों के जीवन को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित कर उसे बदल रहे हैं सूचना प्रौद्योगिकी के माध्यम से आज हम कहीं भी कभी भी खरीदारी कर सकते हैं। पूर्व में सरकार ने सरकारी सेवाओं ,सरकारी सूचनाओं को सरकारी गतिविधियों की जानकारी आम आदमी तक पहुंचाने हेतु ई प्रशासन परियोजनाओं को शुरू किया था। केरल में भूमि परियोजना,  आंध्र प्रदेश में एपी ऑनलाइन एवं कार्ड परियोजना ,महाराष्ट्र में सरिता एवं तमिलनाडु में स्टार परियोजना ई- प्रशासन के उदाहरण हैं। हिमाचल प्रदेश की लोक मित्र, राजस्थान की ई मित्र ,मध्य प्रदेश की ज्ञानदूत, उत्तर प्रदेश की लोक बाणी, कुछ ऐसी परियोजनाएं हैं जो नागरिकों को जाति प्रमाण पत्र, मृत्यु प्रमाण पत्र ,आय प्रमाण पत्र ,मूल निवास ,राशन कार्ड की सुविधा प्रदान कर रही हैं।

शिक्षा


शिक्षा प्रारंभ से ही सामाजिक परिवर्तन का माध्यम रही है ।आजादी के बाद के कई दशक तक शिक्षा का प्रसार प्रचार ठीक प्रकार न हो सका लेकिन सूचना प्रौद्योगिकी के प्रयोग से शिक्षा का सरलीकरण तथा सर्वसुलभीकरण हो चुका है। ई लाइब्रेरी के माध्यम से छात्र कम समय में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकता है ।सूचना प्रौद्योगिकी के माध्यम से घर बैठे किसी भी विश्वविद्यालयों से भी डिग्री प्राप्त की जा सकती है ।शैक्षिक तकनीकी का शिक्षा में प्रयोग होने से अध्यापक तथा छात्र दोनों के ज्ञान में भी वृद्धि हुई है। मनोवैज्ञानिकों द्वारा भी यह सिद्ध किया जा चुका है कि तकनीक के द्वारा अधिगम प्रक्रिया अधिक प्रभावी होती है। शिक्षण में ओवरहेड प्रोजेक्टर ,कंप्यूटर, रेडियो ,टेलीविज़न, टेली कॉन्फ्रेंसिंग के प्रयोग ने विद्यार्थियों को अधिक ज्ञानवान बना दिया है, वहीं ई लाइब्रेरी के माध्यम से छात्र और कोई भी पाठक विश्व की किसी भी पुस्तक को कम खर्चा ,कम समय में पढ़ सकते हैं।अनुसंधान में भी सूचना प्रौद्योगिकी का प्रभावी उपयोग हो रहा है।

स्वास्थ्य

सूचना प्रौद्योगिकी का स्वास्थ्य में प्रयोग एक नवीन प्रयोग है ।समय का सदुपयोग करते हुए डॉक्टर एक स्थान पर बैठकर दूसरे स्थान के मरीजों को देख सकते हैं। टेली मेडिसन के माध्यम से डॉक्टर अपने से दूर स्थित मरीज की समस्याओं को जानकर उनका हल कर सकते हैं। रोबोटिक्स एवं संचार की मदद से डॉक्टर दूर बैठे ही शल्य क्रियाओं को संपन्न कर रहे हैं। विश्व में कहीं भी किसी नई दवा का प्रयोग लोगों को घर बैठे इंटरनेट के माध्यम से पता चल जाता है । कोरोना काल में इसका सर्वाधिक सदुपयोग हुआ है ।कई प्रकार के स्वास्थ्य से संबंधित ऐप जिसमें भारत एवं विश्व के सबसे अच्छे अस्पतालों के डॉक्टरों के द्वारा घर बैठे हुए लोगों ने अपनी समस्याओं को हल करवाया है।

मीडिया

लोकतंत्र का चौथा स्तंभ मीडिया आम आदमी के विचारों को संपूर्ण भारत के लोगों तक पहुंचाने का सशक्त माध्यम है तकनीकी के प्रयोग ने इसे अब और सुलभ किया है विभिन्न न्यूज़ चैनलों के माध्यम से कई प्रकार के घोटाले तथा भ्रष्टाचार से संबंधित घटनाएं आज समाज के सामने उजागर हुई हैं ।न्यूज़ चैनल के अलावा सोशल मीडिया भी एक प्रभावशाली परिवर्तन का माध्यम बनकर उभरा है। फेसबुक टि्वटर आदि के माध्यम से आम आदमी कम समय में अधिकाधिक लोगों के पास तक अपनी बात पहुंचा सकता है ।सोशल मीडिया विश्व में घटित होने वाले प्रत्येक जन आंदोलन का सशक्त माध्यम बना चुका है।

मनोरंजन

मनोरंजन मानव जीवन का आवश्यक अंग है। सूचना प्रौद्योगिकी ने मनोरंजन के नए आयाम प्रस्तुत किए हैं । टेलीविजन जिसे पहले बुद्धू बक्सा कहा जाता था आज प्रौद्योगिकी के प्रयोग द्वारा डीटीएच के माध्यम से प्रत्येक व्यक्ति के लिए विभिन्न चैनलों का प्रसारण कर रहा है ।इंटरनेट के माध्यम से भी कई प्रकार के मनोरंजक कार्यक्रमों द्वारा युवा बुजुर्ग महिलाएं अपना मनोरंजन कर सकते हैं ।यूट्यूब पर अपना स्वयं का वीडियो अपलोड कर घर बैठे आप रोजगार भी पा सकते हैं।

सूचना

सूचना प्रौद्योगिकी के माध्यम से सूचनाओं का आदान-प्रदान सुलभ हुआ है। मोबाइल से पहले टेलीफोन ने सूचनाओं का आदान प्रदान किया जाता था ।आज मोबाइल द्वारा हम घर बैठे किसी भी व्यक्ति से बात कर सकते हैं। मोबाइल से संदेश भेजकर या प्राप्त करके एक दूसरे का हाल जान सकते हैं। 4जी तकनीक के आ जाने से अब मोबाइल पर ही हम इंटरनेट, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, टेलीविजन आदि का लाभ उठा सकते हैं सूचना प्रौद्योगिकी के आधुनिक प्रयोग में डाक विभाग को भी लाभ पहुंचाया है। अब इंटरनेट के माध्यम से ईमेल द्वारा किसी भी इंटरनेट उपभोक्ता को सूचना भेजी जा सकती हैं। इसी क्रम में फैक्स द्वारा भी विभिन्न प्रकार की सूचनाओं का आदान प्रदान किया जाता है।

अन्य

सूचना तकनीकी के आधुनिकीकरण के परिणाम स्वरूप केंद्रीय कृषि मंत्रालय द्वारा 21 जनवरी 2004 को किसान कॉल सेंटर की स्थापना की गई इसका मुख्य उद्देश्य कृषि से जुड़ी किसी भी समस्या का हल किसानों को बताना था। आज के युग में आम आदमी की सबसे बड़ी ताकत मतदान है ।कुछ दशक पहले तक मतदान कागज पर मोहर लगाकर होता था। लेकिन तकनीकी  ने इस व्यवस्था को भी बदला।अब चुनाव में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का प्रयोग होता है। आधुनिक सूचना प्रौद्योगिकी के कारण मानव का जीवन सरल सुगम तथा सुंदर बना है।

अंत में

प्रत्येक व्यवस्था में कुछ ना कुछ कमियां अवश्य ही रह जाती हैं। सूचना प्रौद्योगिकी ने एक तरफ जहां हमें सारे जहां में उड़ने की अनुमति दी है। वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग ऐसे हैं जो इसका दुरुपयोग भी करते हैं। बैंकिंग फ्रॉड एवं इंटरनेट पर उपलब्ध चाइल्ड पॉर्नोग्राफी और अश्लील वेबसाइट के माध्यम से सूचना प्रौद्योगिकी का दुरुपयोग भी हो रहा है। यह कुछ ऐसी समस्याएं हैं यदि इनको लगाम लगा दिया जाए तो सूचना प्रौद्योगिकी हमारे लिए एक ऐसा वरदान है जिससे हम अपने पूरी पृथ्वी को बहुत ही आकर्षक और अद्भुत बनाते हुए संपूर्ण सृष्टि को उन्नत बना सकते हैं।


दीपक दिव्य 


बुधवार, 21 अक्तूबर 2020

स्वतंत्र चिंतन


स्वतंत्र चिंतन

बच्चों को संतति का पिता माना गया है । किसी भी देश एवं समाज का भविष्य उस देश के बच्चों के सार्वभौमिक विकास पर निर्भर करता है। बच्चे न केवल राष्ट्र की धरोहर है बल्कि भविष्य में उनके द्वारा ही देश की सामाजिक ,राजनीतिक ,आर्थिक, व्यवस्था का क्रियान्वयन होगा। बच्चों के उचित सामाजिक- मनोवैज्ञानिक विकास का उत्तरदायित्व केवल परिवार पर ही नहीं वरन समाज के प्रत्येक व्यक्ति पर है इसलिए उनके सर्वांगीण विकास के लिए स्वतंत्र चिंतन को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। बच्चे किसी भी राष्ट्र की अमूल्य संपत्ति माने जाते हैं। यही बच्चे देश का भविष्य भी होते हैं ।भारत की कुल जनसंख्या का 42% ,18 वर्ष से कम आयु के बच्चों का है ।

नोबेल पुरस्कार प्राप्त करते समय जब मलाला की खनकती आवाज टेलीविजन और सोशल मीडिया के माध्यम से विश्व के अधिकांश घरों में गूंजी तब  बच्चों के स्वतंत्र चिंतन विषय पर एक गंभीर बहस प्रारंभ करने के अवसर उत्पन्न होने लगे। स्वतंत्र चिंतन ही था जिसने मलाला को आतंकवाद के विरुद्ध लड़ने की प्रेरणा प्रदान की ।भारत जैसे सांस्कृतिक देश में स्वतंत्र चिंतन को प्राचीन काल से ही  बढ़ावा दिया जा रहा है। शुकदेव से लेकर रामकृष्ण आदि गुरु शंकराचार्य ,खुदीराम बोस, प्रफुल्ल चाकी, बंदा बैरागी गुरु गोविंद सिंह के बेटे ,चंद शेखर आजाद का न्यायालय में भाषण, भगत सिंह ,उधम सिंह ,वीर सावरकर आदि ने बचपन में ही अपनी स्वतंत्र सोच विकसित की थी। आज भी हमारे विचारों को पल्लवित करने में इन सब की भूमिका है ।आधुनिक समय में सचिन तेंदुलकर ,साइना नेहवाल, कल्पना चावला, मैरी कॉम,फोगाट बहने जैसे कई उदाहरण हैं, सोचिए यदि इनके  माता-पिता ने इनकी सोच पर अपने विचार थोपे होते तो क्या होता ?


बालकों के संपूर्ण विकास पर ही देश का विकास निर्भर करता है। बालक जब स्वतंत्र चिंतन के माध्यम से स्वयं विकसित होगा तो उसके हृदय में विभाजन कारी विचार उत्पन्न नहीं होगा। व्यक्ति की प्रथम पाठशाला मां और उसका घर होता है। हमें घर में ऐसा वातावरण निर्मित करना चाहिए जिससे बालक स्वतंत्र होकर विचार कर सके। बालकों को बात-बात पर डांटना या अनुपयोगी विचारों को उन पर लागू नहीं करना चाहिए ।समाज अपने आदर्शों ,विचारों, रीति-रिवाजों ,परंपराओं को आने वाली संतति को प्रदान करता हुआ स्वयं को जीवित रखता है। इस मानव समाज ने जब-जब यह अनुभव किया कि उसकी कुछ परंपराएं विचारधाराएं, आदर्श एवं मूल्य पुराने हो गए हैं और समाज के लिए लाभप्रद सिद्ध नहीं हो रहे तब उसने उन्हें त्यागा और उसके स्थान पर नवीन आदर्श एवं विचारधाराओं को अपनाया। मानव समाज ने यह कार्य शिक्षा के माध्यम से किया और अपनी संस्कृति को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए शिक्षण संस्थाओं की स्थापना की। शिक्षा संस्कृतिक हस्तांतरण और व्यक्ति विकास का प्रमुख साधन बनी। विद्यालयों का प्रमुख दायित्व है कि वे बच्चों का सर्वांगीण विकास करें ।उनके स्वतंत्र चिंतन के लिए पाठ्य-सहगामी क्रियाओं में बोध कथा वाचन ,लेखन ,समाचार समीक्षा के अलावा भाषण प्रतियोगिता वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया जाना चाहिए ।बच्चों को नाबालिग माना जाता है । सामान्य समाज इन बच्चों के विचारों चिंतन को अधिक महत्व देते हुए बच्चा कहकर चुप रहने के लिए कहता है जबकि अवस्था स्वतंत्र चिंतन के लिए सर्वश्रेष्ठ अवस्था होती है।

मनोवैज्ञानिकों ने विशिष्ट प्रकृति एवं महत्व के कारण जहां बाल्यावस्था को जीवन का अनोखा काल  के नाम से संबोधित किया वहीं किशोरावस्था को जीवन का सबसे कठिन काल माना है।

सामाजिक विकास की दृष्टि से इस आयु में घरेलू वातावरण से तंग आ जाते हैं किंतु समाज सेवा के लिए यह हमेशा अग्रसर रहते हैं अतः समाज के अग्रणी लोगों को युवाओं को समाज के माध्यम से जागरूक करते हुए पुरानी रूढ़ियों ,रीति-रिवाजों से दूर रखते हुए मुक्त चिंतन के अवसर देने चाहिए।

बचपन जीवन का सबसे नाजुक दौर होता है। इस अवस्था में बालक का झुकाव जिस ओर हो जाता है उसी दिशा में जीवन में वह आगे बढ़ता है। वह धार्मिक, देश प्रेमी या देशद्रोही कुछ भी बन सकता है ।इसी अवस्था में संसार के सभी महान पुरुषों ने अपने भावी जीवन का संकल्प लिया है ।स्वतंत्र चिंतन के कारण किशोर स्वयं को दूसरों को और अपने जीवन को भली-भांति समझने का प्रयास करेगा। स्वतंत्र चिंतन से बालकों के मानसिक स्वास्थ्य का अच्छा विकास होगा जिससे उनका शैक्षणिक विकास भी द्रुतगामी होगा।

स्वतंत्र चिंतन के मार्ग में कुछ बाधाएं भी हैं।  स्वतंत्र चिंतन यदि नकारात्मक हो जाए तो गंभीर समस्याएं आ सकती हैं। इस अवस्था में अपराध प्रवृति अपनी पराकाष्ठा पर होती है अतः अत्याधिक और विना किसी निर्देशन के स्वतंत्र चिंतन हानिकारक हो सकता है। किशोर अपने अंदर  संघर्ष का अनुभव करता है जिसके फलस्वरूप वह अपने को कभी-कभी दुविधापूर्ण स्थिति में पाता है। ऐसी स्थितियों में अभिभावकों का और समाज का यह दायित्व है कि वह अपने सहयोग के माध्यम से और अपनी निगरानी में बच्चों की स्वतंत्र चिंतन के अभियान को गति प्रदान करें तो निश्चित ही परिणाम सुखद होंगे।


दीपक तिवारी 'दिव्य'